नमस्कार, आईये जुडे मेरे इस ब्लांग से, आप अपनी बाल कहानियां, कविताय़ॆ,ओर अन्य समाग्री जो बच्चो से के लायक हो इस ब्लांग मे जोडॆ,आप अगर चाहे तो आप भी इस ब्लांग के मेम्बर बने ओर सीधे अपने विचार यहां रखे, मेम्बर बनने के लिये मुझे इस e mail पर मेल करे, ... rajbhatia007@gmail.com आप का सहयोग हमारे लिये बहुमुल्य है,आईये ओर मेरा हाथ बटाये.सभी इस ब्लांग से जुड सकते है, लेकिन आप की रचनाये सिर्फ़ सिर्फ़ हिन्दी मे हो, आप सब का धन्यवाद

अपना घर

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी की एक ओर सुंदर रचना.......


सब से अच्छा अपना घर
जिस मै नही लगता हे डर,

इस मे रहते दादा दादी
जो देते पुरी आजादी.

करते हम अपनी मनमानी
उन से सुनते रोज कहानी.

उनकी सेवा भी हम करते
ममी पापा से नही डरते.

दादा दादी से हमे प्यार
उनके हम पर है उपकार

चिट्ठी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी दुवारा भेजी एक सुंदर रचना...

चिट्ठी आई, चिट्ठी आई,
जाने किस की चिट्ठी आई
जल्दी जल्दी पढॊ तो इस को,
किस का यह संदेश हे लाई.


यह चिट्ठी है पर्यावरण की,
पुछे दुषित क्यो करते मुझे
वृक्ष विहिन ना करो धरा को,
क्या तुम मोत से भी नही डरते.


सुखी यदि रहना है तुम को,
प्रदुषण ना करो तुम
स्वस्थ रहोगे, रोग मुक्त हो
पर्यावरण जब होगा प्यारा

नानी बेचारी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

अरे बच्चो बहुत् दिन हो गये कोई गीत ही नही सुना ना... तो चलो आज तुम्हे एक ऎसा गीत सुनाते है, जि सिर्फ़ तुम्हे ही नही, तुम्हारे मां बाप को भी बहुत पसंद आयेगा....तो जल्दी से पालती मार कर बेठो ओर ध्यान से सुनो...

मन

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है, हम सब की ओर से उन का धन्यवाद.



मन तो मेरा भी करता हे,
आसमान को छु लूं मै.
पकड पकड बुंदे बारिश की
चढ कर इन पर झुलु मै


छोडू कुछ पढना वढना,
जी भर शोर मचाऊं मै,
जो भी मेरे जी को भाये,
उस को जी भर कहुं मै.


मस्त रहुं ओर खेलु कुदु,
तनाव जरा ना झेलू मै,
जो भी मुझ को पसंद चीज हो,
झट से उस को ले लूं मै.

शुभ दीपावली

प्रस्तुतकर्ता डॉ. मोनिका शर्मा


दीपक बन कर जलना सीखें
घोर तिमिर का नाश करें
हृदयाकाश आलोकित हो
ज्योतिर्मय विश्वास भरें



सभी को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें.......

मोका !!!

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर  बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है. धन्यवाद

चीनू चुहिया, बिल मे बेठी
गुप चुप झांक रही थी,
बाहर बेठी बिल्ली मोसी,
मोका तांक रही थी.




मोसी बोली बडे  प्यार से,
बेटी बाहर आओ,
क्यो हो सहमी डरी डरी सी,
कारण तो बतलाओ.




तुम्हारी तो मोसी हुं मै,
मुझ से क्यो डरती हो,
दुंगी तुम को चाकलेट टाफ़ी
विशवास अगर करती हो.




चालाक चीनू समझ गई
बिगडी बिल्ली की बातें,
बाहर ना आऊंगी बिलकुल,
जानू तेरी ओकात

  चित्र लिये हे abhivyakti  से ऎतराज होने पर हटा दिये जायेगे, उन का धन्यवाद

माँ जगदम्बे दो वरदान

प्रस्तुतकर्ता डॉ. मोनिका शर्मा













हे माँ अम्बे जय जगदम्बे
हमको दीजे ये वरदान

कभी ना खंडित होने दें
हम मातृभूमि का मान

वरद हस्त सिर पर रख माता
दिव्य चेतना भर दो मन में
समरसता की शुभ ज्योति को
फैलायेंगें हम कण -कण में

भारत माँ के सारे बच्चे
सिंह रूप हम धर लेंगें
दिव्य धरा का मान बचाने
हर बाधा से लड़ लेंगें

विंध्य, हिमाचल, अरावली का
ना झुकने दें माथा
देव भूमि है धरा हमारी
गायें सब मिल गाथा

पौरुषता का तेज भरो माँ
हम भगत, सुभाष बनें
जग-सिरमौर बने फिर भारत
माँ भारती का विश्वास बनें




चैतन्य का कोना ब्लॉग पर विजय माथुर जी टिप्पणी के शब्द इस रचना के लिए प्रेरणा बने..... उनकी ह्रदय से आभारी हूँ....

टक्कर

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह रचना भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने जगाधरी से भेजी है, बहुत अच्छी अच्छी ओर मन भावन कविताये लिखते है, प्रस्तुत है यह रचना, तो बच्चो सब से पहले डा अनिल अंकल का धन्यवाद तो करो ना, चलो सब से पहले मै उन्हे दिल से आभार कहता हुं तो सब पाठको की तरफ़ से उन्हे धन्यवाद.

टक्कर

हाथी जी को, आया चक्कर,
मच्छर ने जब मारी टक्कर,
टक्कर मार खुशी से नाचा,
खाने लगा, मजे से शक्कर!!




बोला हाथी, नही छोडूंगा,
हाथ पांव तेरे तोडुंगा,
क्रोध दिला मत मुझ को ज्यादा,
नही तो तेरा सर फ़ोडुंगा.



मुस्कुरा कर मच्छर बोला,
करो तो कुछ, तुम अपना ध्यान,
फ़ुंक मजाक मे ही मारु तो,
पहुंच जाओगे, तुम शमशान.

डा० अनिल सवेरा जी

माफ़ी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी की एक अति सुंदर कविता.......

माफ़ी
बंदर बाबु झुला झुलें,
लेकिन बंदरिया को भुले.
बंदरिया हो गई नाराज,
बोली मै तो लडुंगी आज.


अकेले झुला क्यो झुले तुम,
अपनी पत्नी को क्यो भुळे तुम.
तुम ने तोड दिया दिल मेरा,
आग बावुला हुआ मेरा तन.


बंदर जी ने मांगी माफ़ी,
बोले इतना क्रोध है काफ़ी.
अब ना कभी अकेला झुलू,
प्राण प्रिय ना तुम को भुलु.

परिचय डा० अनिल सवेरा जी का

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो आप इस ब्लांग पर ज्यादातर डा० अनिल सवेरा जी की सुंदर  कलम से लिखी बाल कवितायें पढते है, लेकिन उन से आप का कभी परिचय नही करवाया था, फ़िर एक बार मैने उन से प्राथना की कि आप अपने बारे मै कुछ विस्तार से बतलाये ताकि मेरे पाठक आप के बारे कुछ जान सके, ओर उन का परिचय मुझे मेल से मिला, वो आप को प्रस्तुत कर रहा हुं, अनिल जी का धन्यवाद.

अनिल जी का पुरा नाम डां० अनिल गोयल है, उपनाम उन्होने सवेरा रखा है,वो सपुत्र है स्व० श्री कैलाश चंद गोयल जी के, ओर उन की माता जी का नाम है श्री मती लीला वती गोयल, वो शादी शुदा है, उन की बीबी का नाम श्री मती अर्चना गोयल है,भगवान की दया से इन के तीन बच्चे है दो सुंदर सी बेटिया निष्ठा ओर प्रतिष्ठा ओर एक सपुत्र अशंक गोयल, अनिल जी का जन्म ५ जुलाई १९६३ मे जगाधरी ( हरियाणा ) मे हुआ,

फ़िर इन की शिक्षा भी बहुत अच्छी हुयी, प्रभाकर,बी ए,बी एड, एम ए (हिन्दी ) एम ए इतिहास,बी जे एम सी, पी जी डी टी, डी सी एच, डिप्लोमा उर्दू, संस्कृत भाषा प्रमाणपत्र, पी एच डी, पर्यावरण शिक्षा प्रमाण पत्र,

काम ..... अध्यापम( राज भाषा  हिन्दी ) विद्धालय शिक्षा विभाग, हरियाणा.स्काऊट, ओर ए एन टी,
प्रकाशन  से जुडे है....देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाऒं में समीक्षाएं, बाल कविताएं,कविताएं, गजलें,लेख,लघु कथाएं आदि प्रकाशित होती रहती है,
पुस्तकें...हरियाणवी लोक नाट्याकार एवं सांगी (जीवन परिचय ) हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत, हरियाणवी नृत्यगीत एक अध्ययन (ह० सा० अ० से प्रकाशित),बीसवीं शताब्दी उत्तरार्द्ध में लिखित हरियाणा  के हिन्दी नाट्या साहित्य का शोधात्मक अध्ययन ( शोध ग्रंथ ), हरियाणा साहित्य अकादमी से प्रकाशित,उज्जवल बने  भविष्य हमारा ( बाल काव्य संग्रह ) हरियाणा साहित्य अकादमी के अनुदान से प्रकाशित, लक्ष्य रखो सदा महान (बाल काव्य संग्रह ) शीघ्र प्रकाशित.

पुरस्कार एवं सम्मान....पंजाब विश्वविद्धालय से पत्राचार विभाग से पदक प्राप्त, हरियाणा विद्धालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी से अनेको बार पुरस्कृत व सम्मानित, हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत, लोक संपर्क विभाग हरियाणा से पुरस्कृत, जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग हरियाणा से कई बार पुरस्कृत, विभिन्न विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाऒं  से पुरस्कृत,आप की महफ़िल ( साहित्यिक संस्था ), यमुना नगर व विभिन्न संस्थाऒ से सम्मानित,

प्रसारण...दूरदर्शन (हिसार ) से साक्षात्कार प्रसारित, आल इंडिया रेडियो कुरुक्षेत्र से वार्ताएं व रचनाएं प्रसारित,एजूसेट(विद्धालय शिक्षा विभाग, हरियाणा हेतू) से शैक्षिक प्रसारण, बिग एफ़.एम शिमला से बाल कवितायं प्रसारित.
विशेष.. हरियाणवी सांग परम्परा पर दूर दर्शन हिसार हेतू स्क्रिप्ट लेखन.
रुचियां.... नाट्य लेखन, मंचन, निर्देशन, अभिनय, मंच संचालन, छायांकन, भ्रमण, हरियाणवी लोक साहित्या तथा राष्ट्रभाषा हिन्दी पर सतत शोध, समाज सेवा आदि,
सम्पर्क करने के लिये, ओर बधाई संदेश देने के लिये अनिल जी का पता ओर फ़ोन ना०...
८२९ राजा साहब गली, जगाधरी-१३५००३, जिला यमुना नगर ( हरियाणा)
फ़ोन ना०...०१७३२-२४३२७३,०९४१६३-६७०२०
ओर इन का ई मेल आई डी....  dr.anil_savera@yahoo.co.in

डा० अनिल सवेरा जी का धन्यवाद, ओर उन्हे बधाई

हिन्दी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है, तो बच्चो सब से पहलेअनिल जी का धन्यवाद.
हिन्दी


हिन्दी हम सब की हमजोली,
यही तो अपनी प्यारी बोली.

इस से अपना सम्मान,
भारतियो की हे यही तो पहचान.


सागर सा हे इस का दिल
सब मे  जाती यह घुलमिल


प्यार भरा हे इस मै इतना,
गगन विस्तरित लगता जितना.

भाषा जिस ने यह अपनाई,
सुख शांति  समृद्धि पाई

हैप्पी बर्थ डे बप्पा

प्रस्तुतकर्ता डॉ. मोनिका शर्मा


गणपति बप्पा फिर से आये
मूषक पर होकर असवार
घर-घर में खुशियाँ ले आये
बह रही भक्ति रसधार


शिव के प्यारे गिरिजानंदन
बच्चों जैसे भोले- भाले
विघ्नविनाशन ज्ञान के दाता
भक्तों की बात कभी न टालें


प्रथम पूज्य गणेश जगवंदन
मोदक मिश्री इनको भायें
मन से ध्याओ दयावंत को
सब कारज सिद्ध हो जायें

आओ सब मिल शीश नवायें
मांगें मिलकर ये वरदान
मंगलमय हों कर्म हमारे
पायें सदगुण, निर्मल ज्ञान

गौरी नंदन गणपति बप्पा
करते हैं हम सब पर किरपा
आओ बच्चो मिलकर बोलो
हैप्पी बर्थ डे बप्पा........... हैप्पी बर्थ डे बप्पा

नया जमाना

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है.....


मुन्ना मुन्नी पुछें नानी,
क्यो नही कहती कोई कहानी.
कहां गई परियो की बातें, 
कहां गये वो राजा रानी.


नानी बोली.....
कया बतलाऊं तुमको बच्चो,
अब आ गया हे नया जमाना.
कम्पूटर ओर टी वी का अब,
हर बच्चा हो गया दिवाना.


टेंशन से मिले ना फ़ुरसत,
हम को वर्क भी मिलता ज्यादा.
बुलंदियो को बस छू ले हम,
हर बच्चे का यही इरादा.

सॊगात

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर कविता हमे अनिल सवेरा जी ने इ मेल से भेजी है, उन की बहुत सी कविताये मै समय समय पर प्रकाशित करता हुं, आज की सुंदर कविता भी उन्होने भेजी है.....धन्यवाद

सॊगात


मन को  टाटोलो जालिमो,
क्या चीख सुनती है.
नन्ही सी जान गर्भ मे,
कुछ सपने बुनती है.


रोशन करुंगी जग मे,
मै अपने कुल का नाम.
दोनो घरो को बनाऊ गी मै,
इस धरा पर धाम.


करुंगी ना कभी भी,
अधिकार की मै बात
जन्म मुझो को दो मां,
बस यही हे सॊगात

माँ को गोदी

प्रस्तुतकर्ता डॉ. मोनिका शर्मा


माँ की गोदी कितनी प्यारी
नरम मुलायम न्यारी- न्यारी


धीमी थपकी झीना आँचल
गोदी में माँ की खुशबू हर पल

इसमें सिमटकर मैं सो जाऊं
सुंदर सपनों में खो जाऊं

सपनों में भी माँ ही आए
मुझे हमेशा यह समझाए


अच्छा बनना सच्चा बनना
तू तो सबका बच्चा बनना


अपना पराया कभी करना
भेदभाव से दूर ही रहना

सबको होगा तुम पर नाज़
तुम करोगे दिलों पे राज़।











मम्मी ने थी खीर बनाई

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह बाल कविता हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है, आप के पास भी कोई सुंदर सी बाल कविता तो तो हमे भेजे, कोई चित्र, या कुछ भी जो बच्चो से समबंधित हो हमे भेजे, हम उसे यहां प्रकाशित करेगे.


मम्मी जी ने थी खीर बनाई,
मुन्ना  ने जी भर कर खाई.


मुन्नी को दी बिलकुल थोडी,
निकली है उस मै भी रोडी.

मुन्नी लगी जोर से रोने,
मां को दिये ना कपडे धोने.

दी मां ने फ़िर भर कटोरी,
लगी मटकने पोरी पोरी

पैसे

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है

बंदर बाबु पेंट पहन कर
पहुंच गये ससुराल.

खा के मीठा पान उन्होने
होंठ कर लिये लाल

बंदरिया भी सम्रार्ट बन गई
पहन के लंहगा चोली

खाऊंगी मै रस मलाई
बंदर से वह बोली

रस मलाई खाते कैसे?
पास नही था पैसा


लोट के घर को आये ऎसे
बंधु गये थे जेसे

निर्वात,हाईड्रोलिक ब्रेक एवं वायु दबाव

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो आओ आज आप को हम एक विज्ञानिक जी से मिलवाते है, यह  है हमारे दर्शन लाल बवेजा जी,विज्ञान अध्यापक (शिक्षा विभाग, हरियाणा) से

तो चले इन के अविषकार देखे......

आवश्यक सामग्री ---- दो इंजक्शन की सिरिंज ,तीन इंच पाइप का टुकड़ा 
सिद्धांत ---- वायु दबाव, निर्वात (Vaccum)
बनाने की विधि---- कार्य विधि----दो इंजक्शन की सिरिंज ले कर उन्हें एक तीन इंच के पाइप के टुकड़े से जोड़ देते है | पाइप और  इंजक्शन की सिरिंज के जोड़ एयर टाइट होने चाहिए इस के लिए हम किसी भी अच्छे चिपकने वाले पदार्थ जैसे फैवी क्विक का प्रयोग कर सकते है | जोड़ते वक्त एक  सिरिंज का पिस्टन 1\2 की अन्दर और दूसरी सिरिंज का पिस्टन पूरा बहार की और होना चाहिए |
पुरा पढने के लिये यहां किल्क करे 

उपहार

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

  यह प्यारी सी कविता हमे भेजी है, कवि राज  डां अनिल सवेरा जी ने, अगर आप भी कोई बाल कविता भेजना चाहे या आप इस ब्लांग से जुडना चाहे तो हमे मेल करे, आप सब का स्वागत है.

उपहार

पापा ले  आये एक माला,
मुन्नी ने था  भगंडा डाला.




माला लगी उसे बडी प्यारी,
खुश थी  उस की सखियां सारी.



पहन  उसे वह गई स्कूल,
लिया  वहां  से गुलाब का फ़ुल.


पापा को दिया  उपहार,
पापा ने किया बहुत प्यार

सच्ची मित्रता......

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डां अनिल सवेरा जी कि एक ओर सुंदर रचना आप सब के लिये....आप भी अपनी रचनाये भेज सकते है, या फ़िर इस ब्लांग पर मेम्बर बन कर खुद ही अपनी रचनाये प्रकाशित कर सकते है. धन्यवाद

कहती है पुस्तके सब से,
सुनो  हमारी    बात.


हम सब सच्ची मित्र  तुम्हारी,
देती   हर   दम  साथ.


मंजिल पर  पहुचाती सब को,
कभी नही भटकाटी.


मित्रो  बना जो है हम सब का,
उस को राह दिखाती



इसी लिये हम कहती सब को,           पुस्तको का चित्र गुगल से लिया है
बनो मित्र हमारे.                         किसी के ऎतराज पर हटा दिया जायेगा

सचमुच  सारी दुनिया  को तुम,
लगोगे सब से प्यारे

नही पियुंगा दुध...

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर बाल कविता भी डां अनिल सवेरा जी की सुंदर क्लम से लिखी गई है, ओर मेल से हमे मिली. ओर आप के सामने पेश है....


टै टै कर के  देखो तोता,
करता कितना  शोर.


ठुमक ठुमक नाच दिखाता,
अच्छा लगता  मोर.

तोता कहता खाऊंगा मै
दो मिठ्ठे अमरुद



मोर कहे दाना खाऊंगा
नही पियूंगा दुध.

हे! हंस वाहनी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

आज की यह सुंदर कविता भी हमे कवि डां अनिल सवेरा जी ने ही भेजी है, उन की बहुत इच्छा हैदकि उन की एक बाल कविता के रुप मे पुस्तक छपे,मै यही आशा करता हुं कि इन की एक नही अनेक पुस्तके हिन्दी मै ओर बाल कविता के रुप मै
छपे, शुभकामनाओ सहित.
हे! हंस वाहनी


हे हंस वाहनी हम को दो,
विधा का वरदान मां.
अलोकित हो जाये जीवन,
ऎसा दो तुम ग्याण मा.

हे! हंस वाहनी ......
भूल से भी भूले ना हम,
सदाचार का मार्ग मां.
कुसगंति से सदा बचे हम,
अपनाये ना कूमार्ग मां.

हे! हंस वाहनी .......
विश्व बन्धुतव का भाव बढाना,
मन मे बढाना प्यार मां.
सब की करे सदा सेवा हम,
करना इतना उपकार मां.

हे! हंस वाहनी ......


कवि डां अनिल सवेरा

गुरु जी हमारे है भगवान.

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

इस कविता के रचियता भी कविे डां अनिल सवेरा जी है, तो बच्चो आप बताये केसी लगी यह कवि


गुरु जी हमारे है भगवान.

बहुत अच्छे है हमारे सर ,
लगता नही उन से   डर.


समय पर वो कक्षा मै आते,
बहुत लगन से हमे पढाते.

डंडे का नही करते प्रयोग,
पल पल का करते सदपुयोग.


विषय को भी सरल बताते,
बडी रुचि से हमे पढाते.

रोचक है पढाने का तरीका,
आता खुब हंसाने का तरीका.


सब बच्चे उन को है चाहते,
सब के मन को भी बांधे

कविे डां अनिल सवेरा

गुब्बारा, बालून

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

                                                  गुब्बारे  / Balloon

बच्चो आज की कविता भी हमे  डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है, ओर आप सब से माफ़ी चाहूंगा कि आज की बाल कविता मै एक शब्द अग्रेजी का आ रहा है, लेकिन इस को हटाने के लिये मुझे अनिल सवेरा जी से पूचना पडता, तो चलिये आज ... ऎसे ही सही......


                                      गुब्बारा, बालून
पापा ले आये बालून,
उड पहुचा वो देहरादून.

देहरा दून मै खाई लिची,
देखी पहाडियां ऊंची नीची.


मजा आ गया कर के सेर,
धरती पर नही  टिकता पेर.

कर के सेर वो वापिस लोटा,
हो गया था काफ़ी मोटा.

कवि डां अनिल सवेरा जी

ऒस की बूंदे

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर बाल कविता भी हमे डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है, अगर आप भी कोई बाल कविता हमे भेजना चाहे तो भेजियेगां, हम उसे जरुर यहां प्रकाशित करेगे, डां अनिल जी का धन्यवाद.

                                                   ऒस की बूंदे

नन्ही मुन्नी ऒस की बूंदे
करती है मन को शीतल

लगता है मानो ऎसा
हमे पुकारे यह प्रति पल

स्पर्श सुर्य की किरणो का
कर देता इन को उज्जवल

लंहगा

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह बाल कविता भी हमे कवि डा अनिल सवेरा जी ने भेजी है.

लोमडी काकी, पहन के चप्पल,
चली खरीदने मीठा एप्प्ल .
एप्पल लगा उसे बडा मंहगा,
खरीद लिया उस ने लंहगा
लंहगा पहन लगी इतराने.

लोमड जी लगे मुस्कुराने.
अटका पांव तभी जल्दी मै
बोली ठीक थी मै साडी मै.
अब नही लंहगा पहनूंगी.
साडी मै ही खुश रह लुंगी

डां अनिल सवेरा

मच्छर जी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह कविता भी हमे डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है.


गुन गुना कर मच्छर जी ने
कान खा लिये रात
कहां कहां नही काटा उसने
क्या बताये बात.


मुंह पर काटा, हाथ भी काटा
काटे दोनो पांव
काट लिया शरीर सारा
लगा जहां भी दांव

तरकीब लडाई जितनी भी
वो सारी हो गई फ़ेल
मच्छर जी ने रात भर
बनाई हमारी रेल



Dr.anil savera

मेला (एक पंजाबी बाल कविता)

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह कविता भी मुझे डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है , ओर मै यहां सब बच्चो के नाम इसे प्रकाशित कर रहा हुं.

साढे पिंड बिच लग्या मेला
 मै बापू नाल ग्या अकेला


बज रिया सी पॊ पॊ वाजा
झुले वाला केन्दा आजा

खिडोने बिकदे प्यारे प्यारे
बिकदे सी रंग बिरंगे गुब्बारे


मिठ्ठाई वेखी ते टपकी लार
जादुगर दा शो तेयार

घुमे अस्सी मज्जे नाल मेला
रेह्या जेब चा ना ईक भी धेला

   Dr. Anil savera

टक्कर, एक बाल कविता

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

प्यारे बच्चो यह कविता भी हमे अकल डां अनिल सवेरा जी ने आप सब के लिये भेजी है, आशा करता हू आप सब को पसंद आये, अगर पसंद आये तो अकल अनिल सवेरा जी को धन्यवाद जरुर कहे

हाथी जी को, आया चक्कर,
मच्छर ने जब मारी टक्कर,
टक्कर मार, खुशी से नाचा,
खाने लगा, मजे से शक्कर!!

बोला हाथी, नही छोडुंगा,
हाथ -पांव तेरे तोडूंगा,
क्रोध दिला मत मुझको ज्यादा,
नही तो तेरा सर फ़ोडूंगा.

मुस्कुरा कर मच्छर बोला,
करो तो कुछ,तुम अपना ध्यान,
फ़ूक मजाक मै ही मारू तो,
पहुच जाओगे, तुम शमशान.

लेखक डां अनिल सवेरा

होली का त्योहार

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह चित्र मेने josh18.in.com से लिया है, उन का आभार,एतराज होने पर हटा दिया जायेगा
यह रचना मुझे इ मेल से आज डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है हरियाणा से, ओर मुझे बहुत अच्छी लगी तो मेने इसे यहां प्रकाशित कर दिया, तो बच्चो आओ ओर सब से पहले डां अनिल जी का धन्यवाद करे... ओर फ़िर देखे यह सुंदर सी बाल कविता जो होली के रंग मै पुरी तरह से रंगी है.

होली का त्योहार अनोखा,
जिस मे है उत्साह.
बिल्ली मोसी को रंग कर
चुहा भी बोला वाह!!


हिरण आज कुचांले भरता
बना हुआ है शेर.
रंगा शेर को प्यार के रंग मे,
शेर रहा ना शेर.

एक अचंभा ऎसा देखा
उल्लू खेले दिन मे होली,
लोमडी काकी सजा रही है
रंगो से सुंदर होली.

होली का त्योहार अनोखा,
जिस मे है उत्साह.
बिल्ली मोसी को रंग कर
चुहा भी बोला वाह!!

एक अनूठी बात बताऊं

प्रस्तुतकर्ता gazalkbahane




आओ बच्चो,पाठ पढ़ाऊं
एक अनूठी बात बताऊं
काले अक्षर हीरा मोती
फ़ैलाते ये ज्ञान की ज्योति
अक्षर जुड़कर शब्द बनायें
शब्द मिलें बोली बन जायें
बोली संवरे भाषा कहलाये
भाषा से पुस्तक छप जाये
बात पुस्तकों की है न्यारी
पुस्तक होती ज्ञान पिटारी
पुस्तक पुस्तकालय में आकर
गागर में भर जाये सागर
पढने लिखने से फ़ैले ज्ञान
भाषा है मानव की पहचान

श्याम सखा श्याम