प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
पाप कटें, दुःख मिटें, लेत राम नाम .
भव समुद्र, सुखद नाव, एक राम नाम ..
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
परम शांति, सुख निधान, नित्य राम नाम .
निराधार को आधार, एक राम नाम ..
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
संत हृदय सदा बसत, एक राम नाम .
परम गोप्य, परम इष्ट, मंत्र राम नाम ..
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
महादेव सतत जपत, दिव्य राम नाम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
मात पिता, बंधु सखा, सब ही राम नाम .
भक्त जनन, जीवन धन, एक राम नाम ..
प्रेम मुदित मन से कहो, राम, राम, राम .
राम, राम, राम, श्री राम, राम, राम ..
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हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम .
तू क्यों सोचे बंदे, सब की सोचे राम ..
दीपक ले के हाथ में, सतगुरु राह दिखाये .
पर मन मूरख बावरा, आप अँधेरे जाए ..
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम .
तू क्यों सोचे बंदे, सब की सोचे राम ..
पाप पुण्य और भले बुरे की, वो ही करता तोल .
ये सौदे नहीं जगत हाट के, तू क्या जाने मोल ..
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम .
तू क्यों सोचे बंदे, सब की सोचे राम ..
जैसा जिस का काम, पाता वैसे दाम .
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न राम .
तू क्यों सोचे बंदे, सब की सोचे राम ..
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श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् ,
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् ........1
कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् ,
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् ........2
भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् ,
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .............3
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् ,
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .............4
इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् ,
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .............5
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भज मन राम
भज मन राम चरण सुखदाई .....1
जिन चरनन से निकलीं सुर सरि, शंकर जटा समायी .
जटा शन्करी नाम पड़्यो है, त्रिभुवन तारन आयी ..
भज मन राम चरण सुखदाई ..2
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक, शेष सहस मुख गायी .
तुलसीदास मारुतसुत की प्रभु, निज मुख करत बड़ाई ..
भज मन राम चरण सुखदाई ..
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ठुमक चलत रामचंद्र
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..
किलकि किलकि उठत धाय,
गिरत भूमि लटपटाय .
धाय मात गोद लेत,
दशरथ की रनियां .
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..
अंचल रज अंग झारि,
विविध भांति सो दुलारि .
तन मन धन वारि वारि,
कहत मृदु बचनियां .
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..
विद्रुम से अरुण अधर,
बोलत मुख मधुर मधुर .
सुभग नासिका में चारु,
लटकत लटकनियां .
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..
तुलसीदास अति आनंद,
देख के मुखारविंद .
रघुवर छबि के समान
रघुवर छबि बनियां ..
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ..