प्यारे नन्हे मुन्ने बच्चो!
प्यार
व्याकरण से बहुत घबराते हो न?क्या करे कुछ तो ये होती ही नीरस उस पर स्कूल्स में हम टीचर्स इसे पढ़ते भी है बड़े उबाऊ तरीके से. मैंने तुम्हारे लिए कई कोर्स की जरूरी जानकारियों को छोटी छोटी कविता का रूप दे दिया है जिन्हें तुम गा गा कर याद कर सकते हो.अच्छी न लगे तो बताना.
देखो भाई मैं तो अपने स्कूल के बच्चों को ऐसे ही पढ़ाती हूँ.क्या करूं?
ऐसीच हूँ मैं तो.
किन्तु बच्चों से बहुत बहुत प्यार करती हूँ और मेरे स्कूल के बच्चे भी मुझे बहुत प्यार करते हैं.अब तुम्हारा प्यार पाना चाहती हूँ.
हा हा हा
मुझसे दोस्ती करोगे न? तो लो ये एक कविता तुम्हारे लिए.
संज्ञा संज्ञा क्या करते हो?
संज्ञा किसको कहते हैं?
व्यक्ति,वस्तु,स्थान,भाव के
'नाम' को संज्ञा कहते हैं.
संज्ञा के स्थान पर जो शब्द काम आते हैं
हिंदी भाषा में वे सारे सर्वनाम कहलाते हैं.
बिन पहिये की ये है गाडी
सामान लादो या करो सवारी
रेनडियर या कुत्ते इसको खींचते है
इस गाडी को 'स्लेज' सब कहते हैं
बने बर्फ के गोल गोल घर
इसमें घुसते रेंग रेंग कर
'एस्किमोज़' इसमें रहते हैं
इस घर को 'इग्लू' कहते हैं
प्रस्तुतकर्ता
डॉ. नागेश पांडेय संजय
प्यारे बच्चों !
मेरे पड़ोस में एक छोटा सा बच्चा रहता है .
उसका नाम है मुनुआ .
हर रोज उसका एक अजीबोगरीब सवाल होता है .
एक बार उसने पूछा -
"अम्मा मेरे मूंछ न क्यों ?"
माँ ने जबाब तो दिया , मगर ...! मगर... ?
तो तुम खुद ही पढो न यह बाल गीत .
सारी बात जान जाओगे .
हाँ मुझे बताना जरुर , तुम्हें कैसा लगा यह बाल गीत ?
बताओगे न ?
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डा. नागेश पांडेय 'संजय'का बाल गीत :
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मुनुआ रोए ऊँ ऊं ऊं
अम्मा मेरे मूंछ न क्यों ?
उन्हें लगाकर खुश हो लूँ .
तब न पूंछू मूंछ न क्यों ?
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dr.nagesh.pandey.sanjay@gmail.com
चित्र : गूगल सर्च से साभार
dr.nagesh.pandey.sanjay@gmail.com
डा० अनिल सवेरा जी की एक अति सुंदर रचना.....
बेटी भी है मुझ को प्यारी
बेटे जितनी ही,
मै बताऊ बातें तुमको
छम छम छम छम नाचे जब वो
रॊनक लगती हे,
मोहनी उस की सुरत
सब के मन को लगती हे.
सब कामो मे सब से आगे
वही तो रहती हे
नाम करुंगी रोशन जग मे
सब से कहती हे
चित्र लिया गया हे ... mankapakhi.blogspot.com अगर किसी को ऎतराज होगा तो हटा लिया जायेगा,