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एक सवाल देखे कोन सही जबाब देता हे...

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो ओर बडो आज एक बहुत आसान सा सवाल आप सब से पूछने का मन हे, लेकिन इस का जबाब सिर्फ़ ओर सिर्फ़ आप लोगो के पास ही हे, गुगल मे ढुंढ कर अपना वक्त खराब ना करे...ओर आप कितने भी जबाब दे आप का अंतिम जबाब ही माना जायेगा अगर वो सही हुआ तो वर्ना कल इसी समय आप को इस सवाल का जबाब मिल जायेगा

पुरी दुनिया मे ऎसा कोन सा इंसान हे जिस ने आज तक झुठ नही बोला? 

आओ स्कूल चले हम...

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो तुम स्कूल जाते हो क्या? अरे... डरते नही.... देखो तो सही कितने बच्चे स्कूल जाते हे..

हमको कथा सुनाओ न!

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह बाल गीत हमे भेजा हे..डॉ. नागेश पांडेय "संजय" जी ने,

रात हो रही नानी जल्दी
पास हमारे आओ न,
प्यार-प्यारी सुंदर सी कोई
हमको कथा सुनाओ न!

जिसको सुनकर हम सब बच्चे
धीर बनें, गंभीर बनें,
बुरे काम से दूर रहें, सच्चाई
की तस्वीर बनें।
हम सबके मन के उपवन में
गुण के पुष्प खिलाओ न!

मेल-जोल की बातें सीखें
श्रम अपनाएँ हम,
बाधाओं से लड़ने का
अनुक्रम अपनाएँ हम।
प्रेम, शांति के दूत बनें, कुछ
ऐसा हमें सिखाओ न।
प्यारी-प्यारी सुंदर सी कोई
हमको कथा सुनाओ न।
साभार , 
डॉ. नागेश पांडेय "संजय"

निराला अखबार

प्रस्तुतकर्ता Sulabh Jaiswal "सुलभ"

प्यारे बच्चो! मुझे पता है  बहुत खुश हो आजकल छुट्टियां चल रही है नये साल का लुत्फ़ उठा रहे हो....है न. लो आज एक कविता. जिसे तुम रोज देखते हो, और इसके कुछ पन्ने पढ़ते भी हो.


~निराला अखबार~

घर घर आता है अखबार
कितना निराला है अखबार


छोटी हो या बड़ी घटनाएं
दूर दूर की ये कौड़ी लाये
ताजा ताजा सुबह को आता
हम सबका आलस भगाता
सचाई इसकी हमें स्वीकार
कितना निराला है अखबार

दिल्ली लन्दन झुमरी-तलैया
पढ़ते सब हैं इसको भैया
रंग बिरंगा पेज सलोना
देखो इसमें बच्चो का कोना
खेल वाणिज्य और व्यापार
लाये सबके समाचार
कितना निराला है अखबार

सोचो यदि न होता अखबार
जीवन रहता बेमजेदार !!
 

.............बताना कैसी लगी! फिर मिलेंगे जल्द ही. (सुलभ जायसवाल)





घुमक्कड़ पुल्लू

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

केसे हो बच्चो तुम सब, अरे अरे अब तो छुट्टियां चल रही होगी ना; तो खुब मजा ले रहे होंगे ना, दादा दादी तो बहुत खुश होंगे, लेकिन ममा ओर पापा की नाक मे दम कर रखा होगा, सची न..... चलो आज हम तुम्हे नये साल पर एक बहुत सुंदर कविता उपहार मे पढा रहे हे..... अरे सुनो सुनो... पहले पढो तो सही फ़िर देखना कितना मजा आयेगा, लेकिन यह कविता मैने थोडे लिखी हे, अब जिन अंकल ने लिखी हे पहले उन से मिल लो ना,.....

यह प्यारी सी कविता हमे  डॉ. नागेश पांडेय "संजय" अकंल( आप सब के अंकल) ने इ मेल से स्पेशल आप सब के लिये भेजी हे, अरे अब इन का चित्र भी साथ मे लगा रहा हुं खुद ही मिल से, जेसे इन की प्यारी प्यारी कविता हे ना वेसे ही यह भी प्यारे प्यारे लगते हे, तो यह रहा इन का चित्र, ओर उस के नीचे इन का सुंदर शिशु गीत.

घुमक्कड़ पुल्लू

एक बार की बात
 घुमक्कड़ पुल्लू , 
घुम्मी करते- करते
 पहुंचे कुल्लू . 
पर कुल्लू  की
 ठण्ड देख घबडाए , 
छींक  मारते 
घर को वापस आए . 

डा. नागेश पांडेय ' संजय ' 
बच्चो बताना केसा लगा यह शिशु गीत, ओर अंकल को धन्यवाद देना