ब्रह्म कमल
गिरी शिखरों मे सुन्दर खिलता
हँसता रहता ब्रह्म कमल
महकाता फूलों की घाटी
मखमल सा लगता कोमल
निचला भाग बैंगनी हल्का
ऊपर भाग गुलाबी सा
मनह इसका रंग बना है
पुष्प न और जवाबी सा
नित देवों के सिर पर चढ कर
यह धरती निधि बन जाता
बिना स्नान जो तोडता
वो अधर्म कमाता है
ये अगस्त से अक्तूबर तक
बिखराता सौन्दर्य अपार
दर्शक मन्त्रमुग्ध रह जाते
सुषमा इसकी सुबह निहार
शिव प्रतिमा पर शोभा पाता
चढता है केदार के मंदिर
ये सहस्त्रदल कमल अनूठा
पाता मन श्रद्धा और आदर
डा़ चक्रधर नलिन
गिरी शिखरों मे सुन्दर खिलता
हँसता रहता ब्रह्म कमल
महकाता फूलों की घाटी
मखमल सा लगता कोमल
निचला भाग बैंगनी हल्का
ऊपर भाग गुलाबी सा
मनह इसका रंग बना है
पुष्प न और जवाबी सा
नित देवों के सिर पर चढ कर
यह धरती निधि बन जाता
बिना स्नान जो तोडता
वो अधर्म कमाता है
ये अगस्त से अक्तूबर तक
बिखराता सौन्दर्य अपार
दर्शक मन्त्रमुग्ध रह जाते
सुषमा इसकी सुबह निहार
शिव प्रतिमा पर शोभा पाता
चढता है केदार के मंदिर
ये सहस्त्रदल कमल अनूठा
पाता मन श्रद्धा और आदर
डा़ चक्रधर नलिन