ब्रह्म कमल
गिरी शिखरों मे सुन्दर खिलता
हँसता रहता ब्रह्म कमल
महकाता फूलों की घाटी
मखमल सा लगता कोमल
निचला भाग बैंगनी हल्का
ऊपर भाग गुलाबी सा
मनह इसका रंग बना है
पुष्प न और जवाबी सा
नित देवों के सिर पर चढ कर
यह धरती निधि बन जाता
बिना स्नान जो तोडता
वो अधर्म कमाता है
ये अगस्त से अक्तूबर तक
बिखराता सौन्दर्य अपार
दर्शक मन्त्रमुग्ध रह जाते
सुषमा इसकी सुबह निहार
शिव प्रतिमा पर शोभा पाता
चढता है केदार के मंदिर
ये सहस्त्रदल कमल अनूठा
पाता मन श्रद्धा और आदर
डा़ चक्रधर नलिन
गिरी शिखरों मे सुन्दर खिलता
हँसता रहता ब्रह्म कमल
महकाता फूलों की घाटी
मखमल सा लगता कोमल
निचला भाग बैंगनी हल्का
ऊपर भाग गुलाबी सा
मनह इसका रंग बना है
पुष्प न और जवाबी सा
नित देवों के सिर पर चढ कर
यह धरती निधि बन जाता
बिना स्नान जो तोडता
वो अधर्म कमाता है
ये अगस्त से अक्तूबर तक
बिखराता सौन्दर्य अपार
दर्शक मन्त्रमुग्ध रह जाते
सुषमा इसकी सुबह निहार
शिव प्रतिमा पर शोभा पाता
चढता है केदार के मंदिर
ये सहस्त्रदल कमल अनूठा
पाता मन श्रद्धा और आदर
डा़ चक्रधर नलिन
12 आप की राय:
बहुत सुंदर रचना, आप का ओर डा़ चक्रधर नलिन का धन्यवाद
वाह!
behad khoobshurat kavita hai.
dhanaybad.
एक उत्कृष्ट रचना सुन्दर कमल जैसा !!
निर्मला कपिला जी और डा़ चक्रधर नलिन जी का धन्यवाद!
सुन्दर.....
गिरी शिखरों मे सुन्दर खिलता
हँसता रहता ब्रह्म कमल
महकाता फूलों की घाटी
मखमल सा लगता कोमल
Maa ji or Dr. Nalin ji ko is sundar dil chhu jane wali prastuti ke liye shubhkamnayen.
Bahut sundar kavita----Nalin ji ko hardik shubhakamnayen.
Poonam
sir, aap ki kavita sach much achhhi h........
likhte rahiye, yese hi.
खुबसूरत रचना आभार
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ................
खुबसूरत रचना ।
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