यह कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है, हम सब की ओर से उन का धन्यवाद.
मन तो मेरा भी करता हे,
आसमान को छु लूं मै.
चढ कर इन पर झुलु मैछोडू कुछ पढना वढना,
जी भर शोर मचाऊं मै,
जो भी मेरे जी को भाये,
उस को जी भर कहुं मै.
मस्त रहुं ओर खेलु कुदु,
तनाव जरा ना झेलू मै,
जो भी मुझ को पसंद चीज हो,
झट से उस को ले लूं मै.
9 आप की राय:
मस्त रहुं ओर खेलु कुदु,
तनाव जरा ना झेलू मै,
जो भी मुझ को पसंद चीज हो,
झट से उस को ले लूं मै.
वाह.... बड़ी ही प्यारी कविता ....
wah! bahut khub
प्यारी कविता
बहुत सुन्दर रचना!
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बाल चर्चा मंच पर इसकी चर्चा है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/12/30.html
सुन्दर कविता ....
अच्छी रचना , बधाई आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ......
कभी हमारे ब्लॉग पर भी आए // shiva12877.blogspot.com
कित्ती प्यारी कविता...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस
कित्ती प्यारी कविता...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में छोटी बहना के साथ मस्ती और मेरी नई ड्रेस !!
bahut hi sundar lagi aapki bal rachna
छोडू कुछ पढना वढना,
जी भर शोर मचाऊं मै,
जो भी मेरे जी को भाये,
उस को जी भर कहुं मै
bahut bahut bahut badhai
poonam
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