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चिट्ठी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी दुवारा भेजी एक सुंदर रचना...

चिट्ठी आई, चिट्ठी आई,
जाने किस की चिट्ठी आई
जल्दी जल्दी पढॊ तो इस को,
किस का यह संदेश हे लाई.


यह चिट्ठी है पर्यावरण की,
पुछे दुषित क्यो करते मुझे
वृक्ष विहिन ना करो धरा को,
क्या तुम मोत से भी नही डरते.


सुखी यदि रहना है तुम को,
प्रदुषण ना करो तुम
स्वस्थ रहोगे, रोग मुक्त हो
पर्यावरण जब होगा प्यारा

6 आप की राय:

Mrityunjay Kumar Rai said...

सही सन्देश देती कविता

अनामिका की सदायें ...... said...

sunder sandesh nanhe munno ki bhaasha me aur bhi acchha laga.

ManPreet Kaur said...

bahut hi badiya..
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Lyrics Mantra

Akshitaa (Pakhi) said...

यह चिट्ठी तो बहुत प्यारी है...
____________________
'पाखी की दुनिया' में तन्वी अब दो माह की...

पूनम श्रीवास्तव said...

Bahut sundar aur pyara bal geet.....Anil ji ko badhai...

Unknown said...

नन्हे मुन्ने अच्छा लगा, नन्हे मुन्नों से मिलकर तो और भी अच्छा ..जल्दी ही नन्हे मुन्नों के लिए सौगात लक्सर उपस्थित हौगा चाकलेट नहीं पोयम.

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