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अपना घर

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी की एक ओर सुंदर रचना.......


सब से अच्छा अपना घर
जिस मै नही लगता हे डर,

इस मे रहते दादा दादी
जो देते पुरी आजादी.

करते हम अपनी मनमानी
उन से सुनते रोज कहानी.

उनकी सेवा भी हम करते
ममी पापा से नही डरते.

दादा दादी से हमे प्यार
उनके हम पर है उपकार

5 आप की राय:

उपेन्द्र नाथ said...

anil ji ki ye bal kanita sach badi sunder hai........
bachpan ke din aise hi hote hai..yad aa gaye.......... aabhar.

Darshan Lal Baweja said...

बढिया धन्यवाद

प्रणाम

अनामिका की सदायें ...... said...

jab bhi is blog par aati hu...sochti hun kuchh main bhi nanhe munno k liye likhne ka prayas karungi aur post karungi apke is blog me...lekin samay ki daud me sab chhootTa chala jata hai.

bahut sunder aur pyari rachna hai.

Rahul Singh said...

होम स्‍वीट होम.

Akshitaa (Pakhi) said...

सुन्दर और प्यारी कविता..बधाई.
नए साल पर आप सभी लोगों को ढेर सारा प्यार और नव वर्ष - 2011 की खूब बधाई !!

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