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गुब्बारा, बालून

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

                                                  गुब्बारे  / Balloon

बच्चो आज की कविता भी हमे  डां अनिल सवेरा जी ने भेजी है, ओर आप सब से माफ़ी चाहूंगा कि आज की बाल कविता मै एक शब्द अग्रेजी का आ रहा है, लेकिन इस को हटाने के लिये मुझे अनिल सवेरा जी से पूचना पडता, तो चलिये आज ... ऎसे ही सही......


                                      गुब्बारा, बालून
पापा ले आये बालून,
उड पहुचा वो देहरादून.

देहरा दून मै खाई लिची,
देखी पहाडियां ऊंची नीची.


मजा आ गया कर के सेर,
धरती पर नही  टिकता पेर.

कर के सेर वो वापिस लोटा,
हो गया था काफ़ी मोटा.

कवि डां अनिल सवेरा जी

2 आप की राय:

रावेंद्रकुमार रवि said...

नन्हे-मुन्ने और नन्हा मन पर
आज एक साथ प्रकाशित
इस मोहक शिशुगीत का स्वागत है!
यह बहुत मज़ेदार है!
--
अँगरेज़ी का शब्द आ जाने में कोई बुराई नहीं है,
यदि बच्चे उससे सुपरिचित हों!

ताऊ रामपुरिया said...

वाह बहुत सुंदर कविता,

रामराम.

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