नमस्कार, आईये जुडे मेरे इस ब्लांग से, आप अपनी बाल कहानियां, कविताय़ॆ,ओर अन्य समाग्री जो बच्चो से के लायक हो इस ब्लांग मे जोडॆ,आप अगर चाहे तो आप भी इस ब्लांग के मेम्बर बने ओर सीधे अपने विचार यहां रखे, मेम्बर बनने के लिये मुझे इस e mail पर मेल करे, ... rajbhatia007@gmail.com आप का सहयोग हमारे लिये बहुमुल्य है,आईये ओर मेरा हाथ बटाये.सभी इस ब्लांग से जुड सकते है, लेकिन आप की रचनाये सिर्फ़ सिर्फ़ हिन्दी मे हो, आप सब का धन्यवाद

सच्ची मित्रता......

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डां अनिल सवेरा जी कि एक ओर सुंदर रचना आप सब के लिये....आप भी अपनी रचनाये भेज सकते है, या फ़िर इस ब्लांग पर मेम्बर बन कर खुद ही अपनी रचनाये प्रकाशित कर सकते है. धन्यवाद

कहती है पुस्तके सब से,
सुनो  हमारी    बात.


हम सब सच्ची मित्र  तुम्हारी,
देती   हर   दम  साथ.


मंजिल पर  पहुचाती सब को,
कभी नही भटकाटी.


मित्रो  बना जो है हम सब का,
उस को राह दिखाती



इसी लिये हम कहती सब को,           पुस्तको का चित्र गुगल से लिया है
बनो मित्र हमारे.                         किसी के ऎतराज पर हटा दिया जायेगा

सचमुच  सारी दुनिया  को तुम,
लगोगे सब से प्यारे

4 आप की राय:

Unknown said...

good poem on books. net ke jamane ne humko books se door to ker hi diya hai. khyati modi. bikaner class.7.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर कविता.

रामराम.

Darshan Lal Baweja said...

HI ANIL JI ME DARSHAN 'BAHUT SUNDAR KAVITA' NICE

mridula pradhan said...

pyari hai yah kavita.

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