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गुरु जी हमारे है भगवान.

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

इस कविता के रचियता भी कविे डां अनिल सवेरा जी है, तो बच्चो आप बताये केसी लगी यह कवि


गुरु जी हमारे है भगवान.

बहुत अच्छे है हमारे सर ,
लगता नही उन से   डर.


समय पर वो कक्षा मै आते,
बहुत लगन से हमे पढाते.

डंडे का नही करते प्रयोग,
पल पल का करते सदपुयोग.


विषय को भी सरल बताते,
बडी रुचि से हमे पढाते.

रोचक है पढाने का तरीका,
आता खुब हंसाने का तरीका.


सब बच्चे उन को है चाहते,
सब के मन को भी बांधे

कविे डां अनिल सवेरा

4 आप की राय:

Mithilesh dubey said...

बहुत ही मनमोहक और बढिया रचना लगी , अनिल जी को बधाई , उम्मिद है कि आप आगे भी उनकी कवितायें प्रस्तुत करते रहेंगे ।

ताऊ रामपुरिया said...

डंडे का नही करते प्रयोग,
पल पल का करते सदपुयोग.


बहुत सुंदर रचना, पर ऐसे गुरुजी आपके हमारे जमाने मे क्युं नही होते थे?:)

रामराम.

रावेंद्रकुमार रवि said...

यह दोहा याद आ गया --
गुरु-गोविंद दोऊ खड़े, काके लागौं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।

Unknown said...

i like it very much

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