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टक्कर, एक बाल कविता

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

प्यारे बच्चो यह कविता भी हमे अकल डां अनिल सवेरा जी ने आप सब के लिये भेजी है, आशा करता हू आप सब को पसंद आये, अगर पसंद आये तो अकल अनिल सवेरा जी को धन्यवाद जरुर कहे

हाथी जी को, आया चक्कर,
मच्छर ने जब मारी टक्कर,
टक्कर मार, खुशी से नाचा,
खाने लगा, मजे से शक्कर!!

बोला हाथी, नही छोडुंगा,
हाथ -पांव तेरे तोडूंगा,
क्रोध दिला मत मुझको ज्यादा,
नही तो तेरा सर फ़ोडूंगा.

मुस्कुरा कर मच्छर बोला,
करो तो कुछ,तुम अपना ध्यान,
फ़ूक मजाक मै ही मारू तो,
पहुच जाओगे, तुम शमशान.

लेखक डां अनिल सवेरा

1 आप की राय:

M VERMA said...

बहुत सुन्दर बाल कविता
मजेदार भी

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