आज की यह सुंदर कविता भी हमे कवि डां अनिल सवेरा जी ने ही भेजी है, उन की बहुत इच्छा हैदकि उन की एक बाल कविता के रुप मे पुस्तक छपे,मै यही आशा करता हुं कि इन की एक नही अनेक पुस्तके हिन्दी मै ओर बाल कविता के रुप मै
छपे, शुभकामनाओ सहित.
हे! हंस वाहनी
हे हंस वाहनी हम को दो,
विधा का वरदान मां.
अलोकित हो जाये जीवन,
ऎसा दो तुम ग्याण मा.
हे! हंस वाहनी ......
भूल से भी भूले ना हम,
सदाचार का मार्ग मां.
कुसगंति से सदा बचे हम,
अपनाये ना कूमार्ग मां.
हे! हंस वाहनी .......
विश्व बन्धुतव का भाव बढाना,
मन मे बढाना प्यार मां.
सब की करे सदा सेवा हम,
करना इतना उपकार मां.
हे! हंस वाहनी ......
कवि डां अनिल सवेरा
6 आप की राय:
अनिल जी को हमारी तरफ से भी शुभकामनायें।
बड़े दिनों बाद यह पंक्तिया पढने को मिली... हे! हंस वाहनी ......
अनिल जी और आपका शुक्रिया.
anil ji ke shabdon mann saswati ki prarthana bahut hi badhiya lagi.
poonam
anil ji ke shabdon me mann saswati ki prarthana bahut hi badhiya lagi.
poonam
बेहतरीन रचना के लिए
आभार..........
बेहतरीन लिखा आपने ...खूबसूरत रचना !!
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"पाखी की दुनिया" में देखिये "आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है".
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