यह सुंदर कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है, तो बच्चो सब से पहलेअनिल जी का धन्यवाद.
हिन्दी
हिन्दी हम सब की हमजोली,
यही तो अपनी प्यारी बोली.
इस से अपना सम्मान,
भारतियो की हे यही तो पहचान.
सागर सा हे इस का दिल
सब मे जाती यह घुलमिल
प्यार भरा हे इस मै इतना,
गगन विस्तरित लगता जितना.
भाषा जिस ने यह अपनाई,
सुख शांति समृद्धि पाई
11 आप की राय:
भाषा जिस ने यह अपनाई,
सुख शांति समृधि पाई
बहुत ही सही बात ,ईमानदारी का नाम है हिन्दी और ईमानदारी से ही असल सुख शांति और समृद्धि मिल सकती है ...
हिंदी को समर्पित बहुत ही सुंदर कविता ...
बहुत ही अच्छी रचना.....
Aadarniya Anil ji ko bahut bahut dhanywaad.
Sundar kavita
अनुष्का
बहुत सुन्दर कविता है भाई सवेरा जी को बधाई।
हिंदी पर बहुत सुन्दर कविता ...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' - बच्चों के ब्लॉगस की चर्चा 'हिंदुस्तान' अख़बार में भी.
बहुत सुन्दर सर जी
जय हिन्दी , जय भारत
बहुत सुंदर कविता.
रामराम.
बच्चों के मन में यह बैठना बहुत आवश्यक है...
सुन्दर रचना के लिए आभार..
लीजिए मैंने इसे फोल्लो किया हुआ था...लेकिन पता नहीं था ये आपका ही ब्लॉग है...आप बच्चों के लिए इतना अच्छा लिखते हैं...जानकार खुशी और हैरानी हुई...बहुत अच्छा लिखा आपने हिंदी पर.
हिंदी की प्रशंसा पर लिखी गई कविता सुंदर है। ...कृपया अपने ब्लॉग का शीर्षक सुधार लें, नन्हे मुन्हे की जगह नन्हे मुन्ने कर लीजिए। हिंदी में मुन्हे कोई शब्द नहीं है।
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