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मोका !!!

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर  बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है. धन्यवाद

चीनू चुहिया, बिल मे बेठी
गुप चुप झांक रही थी,
बाहर बेठी बिल्ली मोसी,
मोका तांक रही थी.




मोसी बोली बडे  प्यार से,
बेटी बाहर आओ,
क्यो हो सहमी डरी डरी सी,
कारण तो बतलाओ.




तुम्हारी तो मोसी हुं मै,
मुझ से क्यो डरती हो,
दुंगी तुम को चाकलेट टाफ़ी
विशवास अगर करती हो.




चालाक चीनू समझ गई
बिगडी बिल्ली की बातें,
बाहर ना आऊंगी बिलकुल,
जानू तेरी ओकात

  चित्र लिये हे abhivyakti  से ऎतराज होने पर हटा दिये जायेगे, उन का धन्यवाद

15 आप की राय:

डॉ. मोनिका शर्मा said...

प्यारी बाल कविता ...बहुत सुंदर

माधव( Madhav) said...

प्यारी बाल कविता

जय हिन्द said...

!! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत-बहुत बधाई!
--
सुन्दर बाल कविता है!
--
आपकी चर्चा तो हमने
बाल चर्चा मंच पर भी कर दी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/25.html

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत प्यारी बाल कविता....

ASHOK BAJAJ said...

मनभावन कविता है , आपको सचमुच बच्चो से काफी लगाव है .

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत सुंदर कविता। बधाई।

sheetal said...

sundar kavita,
mere blog par bhi jaroor aaye.

sheetal said...

aapka bahut bahut shukriya mere blog par aane ke liye aur mera utsah badhane ke liye.

sheetal said...

aapka bahut shukriya mere blog par aane ke liye aur mera utsah badhane ke liye.

Anonymous said...

bahut hi pyari kavita
bachpan ke din yaad aa gaye

Harsh Rastogi said...

good poem

sheetal said...

aapko Deepavali ki hardik subhkamnai.

Sunil Kumar said...

बहुत सुंदर कविता। बधाई।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

बच्चों के लिए सरल कविता लिखना बहुत ही मुश्किल है !
कविता बहुत ही प्यारी लगी!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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