यह सुंदर बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है. धन्यवाद
चीनू चुहिया, बिल मे बेठी
बाहर बेठी बिल्ली मोसी,
मोका तांक रही थी.
मोसी बोली बडे प्यार से,
बेटी बाहर आओ,
क्यो हो सहमी डरी डरी सी,
कारण तो बतलाओ.
तुम्हारी तो मोसी हुं मै,
दुंगी तुम को चाकलेट टाफ़ी
विशवास अगर करती हो.
चालाक चीनू समझ गई
बिगडी बिल्ली की बातें,
बाहर ना आऊंगी बिलकुल,
जानू तेरी ओकातचित्र लिये हे abhivyakti से ऎतराज होने पर हटा दिये जायेगे, उन का धन्यवाद
15 आप की राय:
प्यारी बाल कविता ...बहुत सुंदर
प्यारी बाल कविता
!! सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा !!
बहुत-बहुत बधाई!
--
सुन्दर बाल कविता है!
--
आपकी चर्चा तो हमने
बाल चर्चा मंच पर भी कर दी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/25.html
बहुत प्यारी बाल कविता....
मनभावन कविता है , आपको सचमुच बच्चो से काफी लगाव है .
बहुत सुंदर कविता। बधाई।
sundar kavita,
mere blog par bhi jaroor aaye.
aapka bahut bahut shukriya mere blog par aane ke liye aur mera utsah badhane ke liye.
aapka bahut shukriya mere blog par aane ke liye aur mera utsah badhane ke liye.
bahut hi pyari kavita
bachpan ke din yaad aa gaye
good poem
aapko Deepavali ki hardik subhkamnai.
बहुत सुंदर कविता। बधाई।
बच्चों के लिए सरल कविता लिखना बहुत ही मुश्किल है !
कविता बहुत ही प्यारी लगी!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
Post a Comment
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये