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एक सीख

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो आओ आज तुम्हे निर्मला आंटी जी की भेजी एक कविता सुनाते है, पढ कर बताना ओर निर्मला आंटी को धन्यवाद भी बोलना..... बहुत अच्छी कविता है, तो यह लो ...

एक सीख
आओ बच्चो तुम्हें दिखाऊँ
इक मँदिर इक गुर्दुवारा
देखो दोनो मे भगवान है
क्या मेरा क्या तुम्हारा
मस्जिद देखो या देखो चर्च
शीश झुकाना सब का फर्ज़
बच्चो तेरे मेरे की
कभी ना डालो रीत
मिलजुल कर रहोगे जितना
बढेगी उतनी प्रीत
सब धर्मों का एक ही सार
दया करुणा प्रेम पियार
गर तुम इसको मानोगे
तभी प्रभू को जानोगे
निर्मला कपिला जी की कलम से

4 आप की राय:

Murari Pareek said...

बहुत सुन्दर रचना है!! काश ये बात बचपन मैं बच्चों के दिलो दीमाग मैं हमेशां के लिए रच बस जाती !!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर रचना.

रामराम.

swapnil said...

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा ......
थैंक्यू निर्मला आंटी ..... आपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी |

virendra sharma said...

bahut jyaadaa zarurat hai ,aaj aisi hi rachnaaon ki -jabki babri masjid hamaare dilo -dimaag par aaj bhi gaalib hai ,bachchon ko ek saaf sandesh detin hain aapki rachnaayen ,badhaai -veerubhai

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