नमस्कार, आईये जुडे मेरे इस ब्लांग से, आप अपनी बाल कहानियां, कविताय़ॆ,ओर अन्य समाग्री जो बच्चो से के लायक हो इस ब्लांग मे जोडॆ,आप अगर चाहे तो आप भी इस ब्लांग के मेम्बर बने ओर सीधे अपने विचार यहां रखे, मेम्बर बनने के लिये मुझे इस e mail पर मेल करे, ... rajbhatia007@gmail.com आप का सहयोग हमारे लिये बहुमुल्य है,आईये ओर मेरा हाथ बटाये.सभी इस ब्लांग से जुड सकते है, लेकिन आप की रचनाये सिर्फ़ सिर्फ़ हिन्दी मे हो, आप सब का धन्यवाद

मेरी नातिन

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

आज इस कविता का दुसरा भाग

मेरी नातिन
मेरी नातिन गोल मटोल्
मीठे लगते उसके बोल
बातें करके इतराती है
ऐसे सुरताल बनाती है
जैसे हो सरगम अनमोल
सुनाती हूँ दिन भर की शरारत
लडकी है या कोई बुझारत
बात इशारों से समझाये
मम्मी पापा भी चकराये
उठते ही कसमसाती है
जैसे कुछ समझाती है
ना समझो तो शोर मचाती
सब की सिटीपिटी गुम हो जाती है
फिर पापा बात समझते हैं
नैपी उसका बदलते हैं
फिर वो सहज हो जाती है
शरारत से मुस्कराती है
आज बस इतना ही काफी
जाने की चाहती हूँ माफी
कल फिर से मै आऊँगी
नयी शरारत बतलाऊँगी
ध्न्यवाद ... लेखक निर्मला कपिला जी का

4 आप की राय:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर, आभार आपका.

रामराम.

Asha Joglekar said...

बडी प्यारी है आपकी नातिन ।

रानी पात्रिक said...

बच्चे कितने प्यारे होते हैं। मन लुभा ही लेते हैं।

Dev said...

Bahut sundar kavita, bachapan ki baten aapki kavita padh kar phir yaad aa gayi...
Regards..

DevPalmistry|Lines Tell the story of ur life

Post a Comment

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये