आज इस कविता का तीसरा हिस्सा....
मेरी नातिन्
अब आगे सुनो उस की शैतानी
करती है अपनी मनमानी
जब वो सहज हो जाती है
खिलैनो की बारी फिर आती है
कुछ इधर फेँक कुछ उधर गिराती
जब मम्मी उसको डाँट पिलाती
तो भीगी बिल्ली बन जाती
फिर पापा को खूब दौडाती
घोडा बना पीठ पर चढ जाती
दोनो को वो खूब नचाती
फिर कम्प्यूटरचेयर पे चढ जाती
की बोर्ड पर हाथ चलाती
पूरा नेट वर्क करती क्न्ट्रोल
तार को देती साकेट से खोल
चिडिया की जब सुने आवाज़
चीँ चीँ करती जाती भाग
ऐसे उसकी बोलती बोली
जैसे हो वो इसकी सहेली
मम्मी कहती मेरी लाडली
पापा कहते मेरी जान
वो दोनो से बन जाती अनजान
नहीं हाथ पकडाती है
ना--ना--कह उन्हें चिढाती है
जब दोनो मुँह फुलाते हैँ
तो भाग गले लग जाती है
लेखन निर्मला कपिला जी दुवारा
बेटी की हत्या | हिन्दी लघु कहानी
14 hours ago
7 आप की राय:
ये तो हमारी नातिन की कहानी लिखदी आपने. अभुत खूबसूरत अल्फ़ालों मे लिखा है. निर्मलाजी को धन्यवाद और आपका आभार.
रामराम.
bahut pyaari..
ati sundar aur bachon ki to bahut pyaari kavita
खूबसूरत खयालों से सजी ये कविता, बिटिया के बचपन की याद दिला गयी.
धन्यवाद...
राज भाई साहब
क्षमा करना, आपके दरबार मे बहुत समय बाद पहुचा हू।
...............................................
मेरी नातिन् भाग ३
फिर कम्प्यूटरचेयर पे चढ जाती
की बोर्ड पर हाथ चलाती
पूरा नेट वर्क करती क्न्ट्रोल
तार को देती साकेट से खोल
नातिन् ने तो आपके साथ साथ हमारा मन भी प्रफुलित कर दिया मस्ती करके।
आभार/मगलकामना
महावीर बी सेमलानी "भारती"
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापन्थ
DEAR SIR/MADAM
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THANKS
ANUSUYA BHATT
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