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veer putr baal kavita

प्रस्तुतकर्ता निर्मला कपिला

वीर पुत्र

वीर सैनिको निर्भय हो कर आगे बढते जाना
सीने पर हंस गोली खाना पीछे लौट नआना

धरती माता को प्रणाम कर,
आगे बढ्ते जाओ
मातृभूमि के लिये युद्ध मे
बढकर शीश कटाओ


किसी मुल्य पर राष्टृ रक्षको लक्षय विजय का पाना
माता बहने चाह रही हैं जय का तिलक लगाना

तुम्हीं यश तेज पराक्रम
तुम गौरव गरिमा हो
उदहारण हो सकल विश्व के
तुम स्वदेश महिमा हो

शपथ शत्रु को करो पराजित,कहता नया जमाना
कदम बढाते चलो निरन्तर समय न तनिक गवाना

जन्म भूमि की रक्षा मे जो
अपने प्राण लुटाते हं
शीश झुकाते सूर्य चन्द्र
मेले पर्व मनाते हैं

खट्टे करना दाँत शत्रु के पीछे फिर मुस्काना
वीरपुत्रब शस्त्र उठाओ पहन युद्ध का बाना
lekhak Dr. Chakardhar Nalin


7 आप की राय:

ताऊ रामपुरिया said...

इस ओजस्वी रचना के लिये बहुत धन्यवाद.

रामराम.

राज भाटिय़ा said...

निर्मला जी बहुत ही सुंदर ओर तेजस्वी ओर गोरव से भरी कविता, आज ऎसी कवितओ की ही जरुरत है हमारे बच्चो को.
आप का को नलिन जी का धन्यवाद

Vinay said...

बधाई, रचना सुन्दर बन पड़ी है

राज भाटिय़ा said...

यह टिपण्णी एक टेस्ट है देखने के लिये कि टिपण्णी बक्स काम कर रहा है या नही???

Anonymous said...

प्रेरक रचना है।
वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

रश्मि प्रभा... said...

बच्चों के अन्दर देश के लिए ओज भरी भावना भरने का आपका सुन्दर प्रयास......
हर शब्द रोमांचित करते हैं

Admin said...

रचना बेहतर है! आपकी बात कहने का तरीका पसंद आया

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