वीर पुत्र
वीर सैनिको निर्भय हो कर आगे बढते जाना
सीने पर हंस गोली खाना पीछे लौट नआना
धरती माता को प्रणाम कर,
आगे बढ्ते जाओ
मातृभूमि के लिये युद्ध मे
बढकर शीश कटाओ
किसी मुल्य पर राष्टृ रक्षको लक्षय विजय का पाना
माता बहने चाह रही हैं जय का तिलक लगाना
तुम्हीं यश तेज पराक्रम
तुम गौरव गरिमा हो
उदहारण हो सकल विश्व के
तुम स्वदेश महिमा हो
शपथ शत्रु को करो पराजित,कहता नया जमाना
कदम बढाते चलो निरन्तर समय न तनिक गवाना
जन्म भूमि की रक्षा मे जो
अपने प्राण लुटाते हं
शीश झुकाते सूर्य चन्द्र
मेले पर्व मनाते हैं
खट्टे करना दाँत शत्रु के पीछे फिर मुस्काना
वीरपुत्रब शस्त्र उठाओ पहन युद्ध का बाना
lekhak Dr. Chakardhar Nalin
वीर सैनिको निर्भय हो कर आगे बढते जाना
सीने पर हंस गोली खाना पीछे लौट नआना
धरती माता को प्रणाम कर,
आगे बढ्ते जाओ
मातृभूमि के लिये युद्ध मे
बढकर शीश कटाओ
किसी मुल्य पर राष्टृ रक्षको लक्षय विजय का पाना
माता बहने चाह रही हैं जय का तिलक लगाना
तुम्हीं यश तेज पराक्रम
तुम गौरव गरिमा हो
उदहारण हो सकल विश्व के
तुम स्वदेश महिमा हो
शपथ शत्रु को करो पराजित,कहता नया जमाना
कदम बढाते चलो निरन्तर समय न तनिक गवाना
जन्म भूमि की रक्षा मे जो
अपने प्राण लुटाते हं
शीश झुकाते सूर्य चन्द्र
मेले पर्व मनाते हैं
खट्टे करना दाँत शत्रु के पीछे फिर मुस्काना
वीरपुत्रब शस्त्र उठाओ पहन युद्ध का बाना
lekhak Dr. Chakardhar Nalin
7 आप की राय:
इस ओजस्वी रचना के लिये बहुत धन्यवाद.
रामराम.
निर्मला जी बहुत ही सुंदर ओर तेजस्वी ओर गोरव से भरी कविता, आज ऎसी कवितओ की ही जरुरत है हमारे बच्चो को.
आप का को नलिन जी का धन्यवाद
बधाई, रचना सुन्दर बन पड़ी है
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प्रेरक रचना है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
बच्चों के अन्दर देश के लिए ओज भरी भावना भरने का आपका सुन्दर प्रयास......
हर शब्द रोमांचित करते हैं
रचना बेहतर है! आपकी बात कहने का तरीका पसंद आया
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नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये