गमला
यग्य कुण्डसा पवित्र गमला
हरा भरा मन भावन गमला
प्रकृति नये रूपों मे लाता
सुन्दरता पौरुश का दाता्
रंग विरंगे फूल खिलाता
शुद्ध वायू से घर भर देता
माता सा उदार है गमला
इसमे सुन्दर पौधे लगते
सुबह शाम को खूब महकते
पाकर धूप लहलहा उठते
जगमग जगमग हर पल होते
सब का चित चुराता गमला
तितली इस पर है मंडराती
हवा इसे नव गीत सुनाती
सभी रोग दुख दूर भगाती
जीवन कैसे जीयें सिखाता
रहा थकान मिटाता गमला
यग्यकुण्ड सा पवित्र गमला
हरा भरा मन भावन गमला
लेखक --डा. चक्रधर नलिन
यग्य कुण्डसा पवित्र गमला
हरा भरा मन भावन गमला
प्रकृति नये रूपों मे लाता
सुन्दरता पौरुश का दाता्
रंग विरंगे फूल खिलाता
शुद्ध वायू से घर भर देता
माता सा उदार है गमला
इसमे सुन्दर पौधे लगते
सुबह शाम को खूब महकते
पाकर धूप लहलहा उठते
जगमग जगमग हर पल होते
सब का चित चुराता गमला
तितली इस पर है मंडराती
हवा इसे नव गीत सुनाती
सभी रोग दुख दूर भगाती
जीवन कैसे जीयें सिखाता
रहा थकान मिटाता गमला
यग्यकुण्ड सा पवित्र गमला
हरा भरा मन भावन गमला
लेखक --डा. चक्रधर नलिन
3 आप की राय:
प्रयावरण पर बहुत सुंदर उदगार.
रामराम.
बहुत ही सुंदर कविता. धन्यवाद
bahut umda aap ka lagatar prayas aur pyar mujhe bhi protsahit karta hai.......
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