विग्यान
आओ गोलू,रहीम ,राधा
सीखें हम विग्यान
सुने पेड पौधों की कहानी
जय जय जय विग्यान
बढी उपज उसर हरियाली
मित्र बना विग्यान
टेलोविज़न पहुँच घर घर्
मिटा दिया अग्या
खोले बंद समय के ताल
करके नये अविश्कार
सै हुई ग्रह नक्षत्रों की
रचा नया संसार
इस पर निर्भर भविषय अपन
बना प्रकृति विग्यान्
कम्प्यूटर ने क्राँति मचाई
काम बने आसान
अस्त्र शस्त्र इसके संहारी
रखना इन पर ध्यान
दूर किये दुख रोज़ हजारों
ला मुख की मुस्कान
जय जय जय विग्यान
आओ गोलू,रहीम ,राधा
सीखें हम विग्यान
सुने पेड पौधों की कहानी
जय जय जय विग्यान
बढी उपज उसर हरियाली
मित्र बना विग्यान
टेलोविज़न पहुँच घर घर्
मिटा दिया अग्या
खोले बंद समय के ताल
करके नये अविश्कार
सै हुई ग्रह नक्षत्रों की
रचा नया संसार
इस पर निर्भर भविषय अपन
बना प्रकृति विग्यान्
कम्प्यूटर ने क्राँति मचाई
काम बने आसान
अस्त्र शस्त्र इसके संहारी
रखना इन पर ध्यान
दूर किये दुख रोज़ हजारों
ला मुख की मुस्कान
जय जय जय विग्यान
लेखक-- डा़ चक्रधर नलिन जी
10 आप की राय:
अछी बाल कविता है
किताबी कीडा बन्ना नहीं
सीखो पडो विग्यान
कोम्पुटर के ज्ञान से
बनो तुम महान
बहुत बेहतरीन कविता.
रामराम.
बहुत सुंदर बाल कविता लगी.
धन्यवाद
bahut sundar kavitaa hai| wigyaan !!
कम्प्यूटर ने क्राँति मचाई
काम बने आसान
अस्त्र शस्त्र इसके संहारी
रखना इन पर ध्यान
दूर किये दुख रोज़ हजारों
ला मुख की मुस्कान
बहुत ही अच्छी बालकविता, बधाई
वाह !बहुत खूब .बधाई!!
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
साहब, एक शिकायत है, आपका ब्लाग पढ़ने में आंखों को थोड़ा दिक्कत होती है। रंगों में थोड़ा फेर-बदल कीजिएगा।
बहुत सुन्दर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बढी उपज उसर हरियाली
मित्र बना विग्यान
टेलोविज़न पहुँच घर घर्
मिटा दिया अग्याn
--bahut sundar prastuti.
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