नमस्कार, आईये जुडे मेरे इस ब्लांग से, आप अपनी बाल कहानियां, कविताय़ॆ,ओर अन्य समाग्री जो बच्चो से के लायक हो इस ब्लांग मे जोडॆ,आप अगर चाहे तो आप भी इस ब्लांग के मेम्बर बने ओर सीधे अपने विचार यहां रखे, मेम्बर बनने के लिये मुझे इस e mail पर मेल करे, ... rajbhatia007@gmail.com आप का सहयोग हमारे लिये बहुमुल्य है,आईये ओर मेरा हाथ बटाये.सभी इस ब्लांग से जुड सकते है, लेकिन आप की रचनाये सिर्फ़ सिर्फ़ हिन्दी मे हो, आप सब का धन्यवाद
प्रस्तुतकर्ता निर्मला कपिला

इच्छा

अम्मा नित्य रात को नभ मे
चँदा मामा क्यों आते हैं
सुबह देख कर सूरज दादा
दूर पहाडी क्यों छुप जाते हैं

सोच रहा हूँचँदा मामा
के संग मे जी भर कर खेलूँ
चन्द्र लोक सीढी से जाऊँ
हँस कर सारे संकट झेलूँ

चन्द्र लोक से रोज बृहपति
ग्रह की यात्रा पर मै जाऊँ
मंगल ग्रह ध्रुव लोक निहारूँ
अमृत कलश वहाँ से लाऊँ

धरती पर मुस्काने बाँटूँ
सब को अमृत बूँद पिलाऊँ
नहीं किसी का करूँ निरादर
सब को अपने गले लगाऊँ

लेखक---- डा. चक्रधर नलिन

3 आप की राय:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर गीत, शुभकामनाएं.

रामराम.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

"चन्द्र लोक से रोज बृहपति
ग्रह की यात्रा पर मै जाऊँ
मंगल ग्रह ध्रुव लोक निहारूँ
अमृत कलश वहाँ से लाऊँ"

बहुत ही मासूम उड़ान है. धन्यवाद!

राज भाटिय़ा said...

वाह बहुत सुंदर.आप का धन्यवाद

Post a Comment

नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये