मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई
छांड़ी दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई
संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई...
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई
मोती मूंगे उतार बनमाला पोई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई...
अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई
अब तो बेल फैल गई आंनद फल होई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई....
दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई...
भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई
दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई....
कुंडली में अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
1 hour ago
1 आप की राय:
बहुत सुंदर मीरा बाई का भजन ! मन
प्रफुल्लित हो गया ! बहुत धन्यवाद !
Post a Comment
नमस्कार,आप सब का स्वागत हे, एक सुचना आप सब के लिये जिस पोस्ट पर आप टिपण्णी दे रहे हे, अगर यह पोस्ट चार दिन से ज्यादा पुरानी हे तो माडरेशन चालू हे, ओर इसे जल्द ही प्रकाशित किया जायेगा,नयी पोस्ट पर कोई माडरेशन नही हे, आप का धन्यवाद टिपण्णी देने के लिये