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सॊगात

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह सुंदर कविता हमे अनिल सवेरा जी ने इ मेल से भेजी है, उन की बहुत सी कविताये मै समय समय पर प्रकाशित करता हुं, आज की सुंदर कविता भी उन्होने भेजी है.....धन्यवाद

सॊगात


मन को  टाटोलो जालिमो,
क्या चीख सुनती है.
नन्ही सी जान गर्भ मे,
कुछ सपने बुनती है.


रोशन करुंगी जग मे,
मै अपने कुल का नाम.
दोनो घरो को बनाऊ गी मै,
इस धरा पर धाम.


करुंगी ना कभी भी,
अधिकार की मै बात
जन्म मुझो को दो मां,
बस यही हे सॊगात

14 आप की राय:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

BAHUT BADHIYAA BAAT KAHEE ANIL JI NE KAVITA KE MARFAT

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सार्थक, जन्माष्टमी की घणी रामराम.

रामराम.

रावेंद्रकुमार रवि said...

----------------------------------------
बहुत बढ़िया सौगात!
----------------------------------------

डॉ. मोनिका शर्मा said...

bahut hi sunder aur marmik rachana.......

डॉ टी एस दराल said...

सही फ़रमाया ।
अजन्मी बच्चियों का भी अधिकार होता है ।

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत भावपूर्ण कविता...अच्छी लगी.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!
________________________
'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बधाई और शुभकामनाएँ!
--
बाल चर्चा मंच पर भी आपकी चर्चा है!
--
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/14.html

माधव( Madhav) said...

बहुत अच्छा

Anonymous said...

काश ये बात उन लोगों तक भी पहुंचें जो ऐसे घृणित काम को अंजाम देते हैं..

Darshan Lal Baweja said...

बहुत अच्छा कहा सवेरा जी

Sunil Kumar said...

sundar bal kavita badhai

रावेंद्रकुमार रवि said...

इस पोस्ट की चर्चा यहाँ है -
कान्हा मेरे मन का मीत : सरस चर्चा (12)

रावेंद्रकुमार रवि said...

इस पोस्ट की चर्चा यहाँ है -
कान्हा मेरे मन का मीत : सरस चर्चा (12)

रावेंद्रकुमार रवि said...

इस पोस्ट की चर्चा यहाँ है -
कान्हा मेरे मन का मीत : सरस चर्चा (12)

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