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अपना घर

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी की एक ओर सुंदर रचना.......


सब से अच्छा अपना घर
जिस मै नही लगता हे डर,

इस मे रहते दादा दादी
जो देते पुरी आजादी.

करते हम अपनी मनमानी
उन से सुनते रोज कहानी.

उनकी सेवा भी हम करते
ममी पापा से नही डरते.

दादा दादी से हमे प्यार
उनके हम पर है उपकार

चिट्ठी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

डा० अनिल सवेरा जी दुवारा भेजी एक सुंदर रचना...

चिट्ठी आई, चिट्ठी आई,
जाने किस की चिट्ठी आई
जल्दी जल्दी पढॊ तो इस को,
किस का यह संदेश हे लाई.


यह चिट्ठी है पर्यावरण की,
पुछे दुषित क्यो करते मुझे
वृक्ष विहिन ना करो धरा को,
क्या तुम मोत से भी नही डरते.


सुखी यदि रहना है तुम को,
प्रदुषण ना करो तुम
स्वस्थ रहोगे, रोग मुक्त हो
पर्यावरण जब होगा प्यारा

नानी बेचारी

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

अरे बच्चो बहुत् दिन हो गये कोई गीत ही नही सुना ना... तो चलो आज तुम्हे एक ऎसा गीत सुनाते है, जि सिर्फ़ तुम्हे ही नही, तुम्हारे मां बाप को भी बहुत पसंद आयेगा....तो जल्दी से पालती मार कर बेठो ओर ध्यान से सुनो...

मन

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह कविता भी हमे डा० अनिल सवेरा जी ने भेजी है, हम सब की ओर से उन का धन्यवाद.



मन तो मेरा भी करता हे,
आसमान को छु लूं मै.
पकड पकड बुंदे बारिश की
चढ कर इन पर झुलु मै


छोडू कुछ पढना वढना,
जी भर शोर मचाऊं मै,
जो भी मेरे जी को भाये,
उस को जी भर कहुं मै.


मस्त रहुं ओर खेलु कुदु,
तनाव जरा ना झेलू मै,
जो भी मुझ को पसंद चीज हो,
झट से उस को ले लूं मै.