मम्मी पापा का हो गया झगडा
सोचा मैं जाऊँगा रगडा
खेल कूद नहीं पाऊँगा
साथ मे डाँट भी खाऊँगा
अब कोई जुगत लगानी होगी
दोनो की सुलह करानी होगी
नहीं तो सच ही जाऊँगा मारा
मैं छोटा सा अक्षत बेचारा
बस फिर ज़ोर से वो चिल्लाया
पेट दर्द का ढोंग रचाया
मम्मी ने पापा को आवाज़ लगाई
दोनो की तो जान पे बन आयी
दोनो ने मिल कर दवा पिलायी
अक्षत ने भी झ्ट शर्त लगायी
तभी पीऊँगा मै दवा
ागर करोगे मुझे से वादा
मुझे बाज़ार ले जाओगे
आईस्क्रीम खिलाओ गे
पीनी पडी कडवी दवाई
पर दोनो की सुलह कराई
कविता निर्मला कपिला दुवारा
जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया
9 hours ago
5 आप की राय:
बहुत प्यारी सुंदर बाल कविता. शुभकामनाएं.
रामराम.
waah bahut pyaari kavita!!!
वाह भई वाह, मजा आ गया।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत अच्छी कविता है ... थैंक्स निर्मला आंटी ...
Waah Waah
bahut badhiya....
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