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बल से बडी बुद्धि

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

बच्चो आज तुम्हे एक शेर की कहानी सुनाता हु, ओर फ़िर कहानी सुन कर बताना केसी लगी, ओर क्या शिक्षा ली.
यह कहानी ली गई है...पंचतंत्र की कहानियां (डायमंड प्रकाशन) से,

एक गुफा में एक बड़ा ताकतवर शेर रहता था। वह प्रतिदिन जंगल के अनेक जानवरों को मार डालता था। उस वन के सारे जानवर उसके डर से काँपते रहते थे। एक बार जानवरों ने सभा की। उन्होंने निश्चय किया कि शेर के पास जाकर उससे निवेदन किया जाए। जानवरों के कुछ चुने हुए प्रतिनिधि शेर के पास गए। जानवरों ने उसे प्राणम किया.

फ़िर एक प्रतिनिधि ने हाथ जोड़कर निवेदन किया, ‘आप इस जंगल के राजा है। आप अपने भोजन के लिए प्रतिदिन अनेक जानवरों को मार देते हैं, जबकि आपका पेट एक जानवर से ही भर जाता है।’शेर ने गरजकर पूछा-‘तो मैं क्या कर सकता हूँ?’सभी जानवरों में निवेदन किया, ‘महाराज, आप भोजन के लिए कष्ट न करें। आपके भोजन के लिए हम स्वयं हर दिन एक जानवर को आपकी सेवा में भेज दिया करेंगे। आपका भोजन हरदिन समय पर आपकी सेवा से पहुँच जाया करेगा।’शेर ने कुछ देर सोचा और कहा-‘यदि तुम लोग ऐसा ही चाहते हो तो ठीक है। किंतु ध्यान रखना कि इस नियम में किसी प्रकार की ढील नहीं आनी चाहिए।’इसके बाद हर दिन एक पशु शेर की सेवा में भेज दिया जाता।

एक दिन शेर के पास जाने की बारी एक खरगोश की आ गई। खरगोश बुद्धिमान था।उसने मन-ही मन सोचा- ‘अब जीवन तो शेष है नहीं। फिर मैं शेर को खुश करने का उपाय क्यों करुँ? ऐसा सोचकर वह एक कुएँ पर आराम करने लगा। इसी कारण शेर के पास पहुँचने में उसे बहुत देर हो गई।’खरगोश जब शेर के पास पहुँचा तो वह भूख के कारण परेशान था। खरगोश को देखते ही शेर जोर से गरजा और कहा, ‘एक तो तू इतना छोटा-सा खरगोश है और फिर इतनी देर से आया है। बता, तुझे इतनी देर कैसे हुई?’खरगोश बनावटी डर से काँपते हुए बोला- ‘महाराज, मेरा कोई दोष नहीं है। हम दो खरगोश आपकी सेवा के लिए आए थे। किंतु रास्ते में एक शेर ने हमें रोक लिया। उसने मुझे पकड़ लिया।’मैंने उससे कहा- ‘यदि तुमने मुझे मार दिया तो हमारे राजा तुम पर नाराज होंगे और तुम्हारे प्राण ले लेंगे।’ उसने पूछा-‘कौन है तुम्हारा राजा?’ इस पर मैंने आपका नाम बता दिया।

यह सुनकर वह शेर क्रोध से भर गया। वह बोला, ‘तुम झूठ बोलते हो।’ इस पर खरगोश ने कहा, ‘नहीं, मैं सच कहता हूँ तुम मेरे साथी को बंधक रख लो। मैं अपने राजा को तुम्हारे पास लेकर आता हूँ।’खरगोश की बात सुनकर दुर्दांत शेर का क्रोध बढ़ गया। उसने गरजकर कहा, ‘चलो, मुझे दिखाओ कि वह दुष्ट कहाँ रहता है?’खरगोश शेर को लेकर एक कुँए के पास पहुँचा। खरगोश ने चारों ओर देखा और कहा, महाराज, ऐसा लगता है कि आपको देखकर वह शेर अपने किले में घुस गया।’शेर ने पूछा, ‘कहां है उसका किला?’ खरगोश ने कुएँ को दिखाकर कहा, ‘महाराज, यह है उस शेर का किला।’ खरगोश स्वयं कुएँ की मुँडेर पर खड़ा हो गया। शेर भी मुँडेर पर चढ़ गया। दोनों की परछाई कुएँ के पानी में दिखाई देने लगी।

खरगोश ने शेर से कहा, ‘महाराज, देखिए। वह रहा मेरा साथी खरगोश। उसके पास आपका शत्रु खड़ा है।’शेर ने दोनों को देखा। उसने भीषण गर्जन किया। उसकी गूँज कुएँ से बाहर आई। बस, फिर क्या था! देखते ही देखते शेर ने अपने शत्रु को पकड़ने के लिए कुएँ में छलाँग लगा दी और वहीं डूबकर मर गया।

6 आप की राय:

saraswatlok said...

बचपन में सुनी कहानी की याद ताजा हो गई। धन्यवाद

Science Bloggers Association said...

प्रेरक कहानी, पढकर मजा आ गया।

Prateek said...

हलाँकि मैं इतना नन्हा मुन्ना भी नहीं हूँ.......19 वर्ष की उम्र है मेरी, पर आज भी जब पंचतंत्र की कहानियाँ पड़ता हूँ तो जीवन के उन मूल सिन्धान्तों की याद ताज़ा हो जाती है जिन्हें हम वक्त के साथ भूलते जाते हैं.

निर्मला कपिला said...

bahut badiya kahani hai chalo aaj apne nati ko yahi kahani sunate hain000000000

Anonymous said...

bahut badhia sir....
sir apake blog par ye hisab kitab chal nahi raha tha maine hindi blog tips me padha

but abhi dekh raha hu ye kaam kar raha hai
mere isame bhi kaam nahi kar raha hai
plzzz
mujhe bataye ke kaise ise chalau

shama said...

Raj ji,
Sachme bachpan yaad dilaa diyaa...apnee daadee, maan aur dadaaji se aisee hee kahaniya suna kartee thee !

Bohot dinon se aapko apne blogpe nahee paya...narazgee to nahee? Gar kuchh khata huee ho to maafee chahtee hun...
Malika samapt honepe hai...
Kayee baar aapko padhke tippanee denekee koshish kee, lekin reject kyon ho jaatee hai, samajh nahee payi !
Pata nahee aajkee bhee post hogee yaa nahee !!

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