नमस्कार आप सभी को, आप सभी निर्मला कपिला जी को तो जानते ही है, मेने उन से पिछली बात प्राथना की थी कि आप कुछ मेरे इस ब्लांग पर भी लिखे, आज उन्होने मुझे एक कविता ई मेल से भेजी है, जब कि वो भी इस ब्लांग की मेम्बर है, ओर वो कविता मै आप सब को प्रस्तुत करता हूं.यह तीन भागो मे है, आज पहला भाग.
अगर आप भी इस ब्लांग के मेम्बर बनना चाहे तो मुझे अपना ई मेल पता भेज दे बस.
तो लिजिये ""निर्मला कपिला जी की बाल कविता"
मेरी नातिन
आसमान से उतरी है वो
ज्यों परियों की रानी
ठुमक ठुमक कर चलती है वो
जैसे गुडिया जापान
छोटी सी वो गोल मटोल
प्यारे मीठे उसके बोल्
बातें करते तुतलाती है
फिर मँद मँद मुस्काती है
हँसे खेले धूम मचाये
है वो बडी सयानी
जब खाने की बारी आये
तो करती है मनमानी
हँसती है वो फूलों जैसे
कलियों जैसे मुस्काती है
नयी शरारत कर के वो
बुलबुल से इतराती है
नेट पर देख के नाना नानी
उसकी प्यारी सी अदायें
सात समन्दर पार वो बैठे
देख उसे बहुत हर्षायेँ
दाल भात उसे ना भाये
फल सब्जी से मुँह चुराये
जब देखे वो दूध की बोट्ल
झट से पुस्सी कैट बन जाये
मम्मी की वो लाडली
पापा की है मानो जान
ऐसी प्यारी से बेटी को
सब खुशियाँ देना भगवान
बच्चो दूध मलाई खाओ
फल सबजी से ना मुँह चुराओ
अगर अच्छा होगा खान पान
तभी बनोगे तुम महान
निर्मला कपिला
अकेलापन डर या साहस | हिंदी आलेख
17 hours ago
4 आप की राय:
बढ़िया बाल कविता. सबक देती हुई.
बहुत सुन्दर कविता है्।
आपको और निर्मला जी को नमस्कार
अरे वाह, यह कविता तो मैं पहले भी पढ चुका हूं। हाँ, याद आया एक ब्लॉग पर ओयाजित प्रतियोगिता में निर्णायक मण्डल में शामिल होने के कारण यह कविता पढने को मिली थी।
भाटिया जी, अफसोस का विषय यह है कि उस तांत्रिक का कोई फोटो उपलबध नहीं है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
nirmala ji is behtareen kavita ke liye aapka ABHINANDAN karta hun..........
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