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पैसे

प्रस्तुतकर्ता राज भाटिय़ा

यह बाल कविता भी हमे अनिल सवेरा जी ने भेजी है

बंदर बाबु पेंट पहन कर
पहुंच गये ससुराल.

खा के मीठा पान उन्होने
होंठ कर लिये लाल

बंदरिया भी सम्रार्ट बन गई
पहन के लंहगा चोली

खाऊंगी मै रस मलाई
बंदर से वह बोली

रस मलाई खाते कैसे?
पास नही था पैसा


लोट के घर को आये ऎसे
बंधु गये थे जेसे

20 आप की राय:

माधव( Madhav) said...

पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ , बहुत अच्छा लगा ये ब्लॉग , हम बच्चों के बारे में ये कविता और अच्छी और प्यारी लगी , आपके ब्लॉग पर नियमित रूप से आना पडेगा
कविता में अगर बंदरियां को रस मलाई मिल जाती तो ही अच्छा था , बेचारी का दिल टूट गया होगा

http://madhavrai.blogspot.com/

रावेंद्रकुमार रवि said...

यहाँ आ जाओ, रसमलाई हम खिलाएँगे!

Darshan Lal Baweja said...

बहुत सुन्दर कविता बधाई डा. साब

रावेंद्रकुमार रवि said...

आकर्षक होने के कारण
इस पोस्ट को चर्चा मंच पर

"आज ख़ुशी का दिन फिर आया"

के रूप में सजाया गया है!

आदेश कुमार पंकज said...

बहुत सुंदर
मातृ दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें और मेरी ओर से देश की सभी माताओं को सादर प्रणाम |

सुरेन्द्र Verma said...

bahut khub ! bhawnao ko isi tarah kabita mein likhte rahe.

Akshitaa (Pakhi) said...

कित्ती प्यारी बाल-कविता ...मजा आ गया.

________________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'

Akshitaa (Pakhi) said...

कित्ती प्यारी बाल-कविता ...मजा आ गया.

________________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'

Tej said...

han Raj Sir...aap sahi kah rahe hain.
kafi din baad aaj aap mere blog par aaye..dhanyawaad...aap ki ye nahne munon ki duniya pasand aayi ..

Sumit Pratap Singh said...

majedar rachana...

Shabad shabad said...

Bachon ke leeye ek sunder kavita.
Vah....

Hardeep

SM said...

beautiful poem

आचार्य उदय said...

आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !

आचार्य जी

पूनम श्रीवास्तव said...

बेहतरीन बाल गीत पढ़वाया आपने-----अनिल जी को हार्दिक बधाई।

Subhash Rai said...

राज भाटिया जी, मुझे तो कादिर चोर है, यहां तक खींच लाया लेकिन यहां आकर लगा कि मैं बेह्तर जगह पर आया हूं. बच्चों के लिये अच्छी सामग्री है, आप के ब्लाग पर. धन्यवाद.

Akshitaa (Pakhi) said...

नई रचना कब आयेगी अंकल जी..इंतजार रहेगा.

_______________________
'पाखी की दुनिया' में 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' जरुर देखें !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भाटिया अंकल जी!
अब तो दो महीने हो चले है!
--
नई पोस्ट भी तो लगाइए!

S.M.Masoom said...

बच्चों के लिए खज़ाना है यहाँ.

पूनम श्रीवास्तव said...

lagata hai bandar ji ko sasuraal raas nahi aai tabhi to vo bairang wapas lout aaye.
bahut pyari kavita.
poonam

योगेन्द्र मौदगिल said...

wahwa...

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