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chiychidiya ban jaoon--baal kavita

प्रस्तुतकर्ता निर्मला कपिला

चिडिया बाल कविता
चिडिया बन जाऊँ

चाह रहा चिडिया बन जाऊँ।
पँख लगा कर नभ छू जाऊँ।

मुझ को अच्छा लगता ऊडना,
डाल डाल मीठे फल चखना।
देश भविश्य नया सुख पाऊँ.
चाह रहा चिडिया बन जाऊँ।

पर्वत सागर घूमूँ जी भर,
रहूँ किसी पर कभी न निर्भर।
तारों के संग नाचूँ गाऊँ.
चाह रहा चिडिया बन जाऊँ।

सरल मधुर हो खग सा जीवन ,
हो सुख दुख से उपर तन मन ।
जो भी मिले खुशी से खाऊँ,
चाह रहा चिडिया बन जाऊँ।
लेखक डा. चक्रधर नलिन

5 आप की राय:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर गीत.

रामराम.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सुंदर कविता है। नलिन जी की कविता को यहां लाने का शुक्रिया।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

राज भाटिय़ा said...

निर्मला जी बहुत ही सुंदर कविता आप ने हमे पढने को दी, आप का ओर नलिन जी का धन्यवाद

amlendu asthana said...

kya khub likha hai. dhnaibad. lihkte rahen

विवेक सिंह said...

हम भी लाइन में हैं जी, चिड़िया बनने को ।

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