यह भजन हम सब के लिए हे
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु,
किरपा कर अपनायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
जनम जनम की पूंजी पाई,
जग में सभी खोवायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
खरचे ना खूटे, चोर न लूटे,
दिन-दिन बढ़त सवायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
सत की नाव खेवटिया सतगुरु,
भवसागर तर आयो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
हरष हरष जस गायो
पायो जी मैने राम रतन धन पायो......
बढ़ती जनसंख्या पर दो मित्रों के बीच संवाद
2 hours ago
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